
यह जीवन कथा है एक ऐसे अनोखे गुरू की-
- जिसने खुद फैसला किया कि मेरे माता-पिता कौन होंगे।
- जिसने बचपन में वह सब किया, जो कोई भी दुस्साहसी, बदत्तमीज और आवारा लड़का कर सकता है, और उसके बावजूद जिसने केवल इक्कीस साल की उम्र में वह पा लिया, जो गौतम बुद्ध ने पैंतीस साल की उम्र में पाया था।
- जिसने अपने शिष्यों को नियमों से बंधने की बजाय नियमों से मुक्त होने का संदेश दिया।