Skip to product information
1 of 1

सुभाष चन्द्र बोस की आत्मकथा 'एक भारतीय तीर्थ यात्री'

सुभाष चन्द्र बोस की आत्मकथा 'एक भारतीय तीर्थ यात्री'

Regular price ₹ 250.00
Regular price Sale price ₹ 250.00
Sale Sold out
Shipping calculated at checkout.

Author: Subhash Chandra Bose

No. of Pages: No. of Pages 192

View full details

कहने को भले ही सुभाष चन्द्र बोस की यह आत्मकथा उनके प्रारंभिक चौबीस वर्षों की कथा है, किंतु यदि आपकी दिलचस्पी नींव के पत्थर को देखने की हो, तो आपके लिये यह पुस्तक पर्याप्त है। इन दस अध्यायों में एक शर्मीले, संकोची तथा हीन-भावना से ग्रस्त बालक के महानायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस बनने की पूरी यात्रा का कदम-दर-कदम वृत्तांत दर्ज है। इसके माध्यम से आप जान पाएंगे कि जीनियस हमेशा पैदा ही नहीं होते, बल्कि दृढ़-संकल्प से बन भी सकते हैं। आप जानेंगे कि साहसी वह नहीं होता, जिसके मन में भय न हो, बल्कि वह होता है, जो अपने भयों को लगातार जीतता चलता है। आप देखेंगे कि बड़े निर्णय लेना किसी के लिये भी आसान नहीं होता, किंतु आसान काम करके कोई बड़ा भी नहीं बनता। संक्षेप में कहें तो इस पुस्तक के माध्यम से आप उस इस्पात को एक मजबूत मूर्ति में ढलता हुआ देख पाएंगे, जिसने सुभाष को सुभाष बनाया। सुभाष चन्द्र बोस स्वामी विवेकानन्द के तार्किक दर्शन से प्रभावित थे। इसीलिए उनकी इस लेखनी में-

  • आपको मानव मन के द्वंदों, भयों एवं जटिलताओं की सच्ची, गहरी और वैज्ञानिक जांच-पड़ताल मिलेगी।
  • आप तत्कालिन भारतीय समाज की राजनीतिक, यहाँ तक कि पूरी दुनिया की तस्वीर देख सकेंगे।
  • आप सुभाष के धर्म एवं अध्यात्म संबंधी विचारों को जान पाएंगे।
  • और आप यह सब जानेंगे उनकी अपनी ही कलम से।

Customer Reviews

Be the first to write a review
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)
0%
(0)