
यह पुस्तक ओशो के अनूठे दृष्टिकोण को प्रस्तुत करती है, जिसमें भोग से समाधि तक जीवन को पूरी तरह जीने की कला का सार है। इसमें चार मुख्य पड़ाव—नारी, प्रेम, काम और समाधि—के माध्यम से जीवन, कृष्ण और आत्मा के नए आयामों को समझाया गया है। प्रेम, भोग, अहंकार, प्रार्थना, मृत्यु और ध्यान जैसे विषयों पर ओशो के गहन और सरल विचार पाठक को अंदर से झकझोरते हैं और सोचने पर मजबूर करते हैं। पुस्तक ओशो की अपनी आवाज़ में लिखी गई है, जिससे पाठक अनुभव करता है जैसे स्वयं ओशो से मार्गदर्शन मिल रहा हो। इसमें एक साहसी गुरु के जीवन की रोमांचक घटनाओं और आध्यात्मिक उपलब्धियों का वर्णन भी है, जिन्होंने पारंपरिक नियमों से मुक्त होकर जीवन और ध्यान की ऊँचाई को छुआ। यह पुस्तक पाठक को पुराने विचारों और सीमाओं से ऊपर उठने, अपने भीतर के ‘नए मैं’ को खोजने और जीवन में नए दृष्टिकोण अपनाने का मार्ग दिखाती है।