शिर्डी के साई मानवता के मसीहा

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Book Description

सदियों पुरानी परंपरा नहीं है शिर्डी के साई की। 1838 के आसपास जन्में। 20 साल की उम्र में शिर्डी आए। 60 साल तक डटे। वे पुराण प्रसिद्द नहीं हैं। न तो उन्होंने रावण का वध कर रामायण रची-राम की तरह। न महाभारत के सूत्रधार बनकर गीता का ज्ञान दिया-कृष्ण की तरह। राजपाट छोड़कर सत्य की खोज में नहीं भटके-बुद्ध और महावीर की तरह। देश के कोने नापने नहीं निकले- शंकराचार्य की तरह। पश्चिम में आध्यात्मिक प्रखरता का परचम नहीं फहराया-विवेकानंद की तरह। ट्रेन तक में नहीं बैठे। दो गांव हैं- राहाता और नीमगांव। शिर्डी के दोनों तरफ। इनके पार नहीं गए ताजिंदगी।